कोर्ट का फैसला और राजनीतिक बहस
अजमेर, [29-11-2024]। अजमेर की एक सिविल अदालत ने अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी है, जिससे राजनीतिक बहस छिड़ गई है। यह फैसला मथुरा, वाराणसी और धार में मस्जिदों और दरगाहों पर इसी तरह के दावे किए जाने के बाद आया है।
1. अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने हामी भर दी।
2. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया है।
3. विपक्षी नेताओं ने इस फैसले की तीखी आलोचना की है।
4. पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 का उल्लेख किया जा रहा है, जिसके तहत देश भर में धार्मिक संरचनाओं पर 15 अगस्त 1947 की यथास्थिति बनाए रखने का कानून बना है।
विपक्षी नेताओं ने इस फैसले की तीखी आलोचना की है, कहा कि यह फैसला देश में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इससे विवाद बढ़ेंगे। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई है।
भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि इस तरह के विवादित ढांचे के नीचे मंदिरों की मौजूदगी की जांच करने का निर्णय उचित है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि न्यायालय ने सर्वेक्षण का आदेश दिया है, इसमें क्या समस्या है?
अजमेर दरगाह प्रशासन और अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। इस फैसले से देश में राजनीतिक और धार्मिक बहस तेज हो गई है।