विदेश भेजे जाने वाले धन पर लगेगा पांच प्रतिशत कर
नई दिल्ली: अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए विदेश भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) पर पांच प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव रखा है। इस फैसले का सीधा असर उन प्रवासी भारतीयों पर पड़ेगा जो अमेरिका से अपने घर पैसा भेजते हैं।
प्रस्तावित कर हर उस प्रवासी पर लागू होगा जो ग्रीन कार्ड होल्डर या एच1बी वीजा पर काम करने अमेरिका गया है। माना जा रहा है कि इससे लगभग चार करोड़ प्रवासी प्रभावित होंगे। हालांकि, प्रस्तावित कर अमेरिकी नागरिकों पर लागू नहीं होगा।
आरबीआई के मार्च बुलेटिन के अनुसार, 2023-24 में भारत को मिले कुल रेमिटेंस में अमेरिकी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 27.7 प्रतिशत रही। 27.7 प्रतिशत हिस्सेदारी लगभग 32.9 अरब डॉलर के रेमिटेंस के बराबर है। अगर पांच प्रतिशत कर लगता है तो यह लागत 1.64 अरब डॉलर होगी।
आरबीआई के लेख में कहा गया है कि रेमिटेंस की लागत में दो हिस्से शामिल होते हैं। लेनदेन के किसी भी चरण में लिया जाने वाला शुल्क और स्थानीय मुद्रा से प्राप्तकर्ता देश की मुद्रा में विनिमय दर। लेख में यह भी कहा गया है कि रेमिटेंस के तौर पर आने वाला धन मुख्य रूप से परिवार के भरण-पोषण के लिए होता है और सीमा पार धन भेजने की लागत का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
विश्व बैंक के अनुसार, भारत 2008 से ही रेमिटेंस पाने वाले शीर्ष देशों में से एक है। वैश्विक रेमिटेंस में इसकी हिस्सेदारी 2001 में लगभग 11 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में लगभग 14 प्रतिशत हो गई है। विश्व बैंक ने दिसंबर 2024 में एक ब्लाग में कहा था कि 2024 में जिन देशों को सबसे ज्यादा रेमिटेंस मिला है, उसमें 129 अरब डॉलर के साथ भारत शीर्ष पर है।
अमेरिका के ट्रंप प्रशासन का विदेश भेजे जाने वाले धन पर पांच प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव प्रवासी भारतीयों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। इससे रेमिटेंस की लागत बढ़ जाएगी और प्रवासी भारतीयों को अपने घर पैसा भेजने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।