ओडिशा के गंजाम जिले में एक दर्दनाक घटना घटी है,
जिसमें 19 वर्षीय क्रिकेटर शंकर महारणा की मौत हो गई। यह घटना खल्लीकोट घाट इलाके में गुरुवार को हुई, जब शंकर क्रिकेट खेलते समय पेट में गेंद लगने से घायल हो गया था।
स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बरहामपुर रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसकी मौत हो गई।
मृतक शंकर के बड़े भाई सीबा ने बताया कि एंबुलेंस खराब होने के बाद उन्हें दूसरी एंबुलेंस की व्यवस्था करने में लगभग तीन घंटे लग गए। जब वे अपने भाई को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे, तो डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
एंबुलेंस की खराबी ने शंकर की जान लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अगर एंबुलेंस समय पर पहुंच जाती, तो शायद शंकर की जान बचाई जा सकती थी।
सरकारी एंबुलेंस की खराबी पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर कैसे एक सरकारी एंबुलेंस खराब हो सकती है? क्या इसकी जांच नहीं की जाती है? यह सवाल अब सभी के मन में है।
सरकार को इस मामले में जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। सरकारी एंबुलेंस की खराबी से किसी की जान जाना एक गंभीर मामला है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
शंकर महारणा की मौत से क्रिकेट जगत में शोक की लहर है। वह एक होनहार क्रिकेटर थे और उनकी मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। शंकर के परिवार और दोस्तों के लिए यह एक बड़ा झटका है और उन्हें इस दुख से उबरने में समय लगेगा।
सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करे। सरकारी एंबुलेंस की खराबी से किसी की जान जाना सरकार की लापरवाही को उजागर करता है।
सरकार को इस मामले में जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, सरकारी एंबुलेंस की जांच और रखरखाव को सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं फिर न हों।
ओडिशा में एंबुलेंस की खराबी से क्रिकेटर की मौत एक दर्दनाक घटना है। यह घटना सरकार की लापरवाही को उजागर करती है। सरकार को इस मामले में जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
साथ ही, सरकारी एंबुलेंस की जांच और रखरखाव को सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं फिर न हों। शंकर महारणा की मौत एक बड़ा झटका है और हमें उम्मीद है कि सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई करेगी।