54 साल बाद फिर बजेगा सायरन, होगा ब्लैकआउट
किशनगंज। बिहार के किशनगंज जिले में भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव और आशंकाओं के बीच सुरक्षा के लिहाज से मॉक ड्रिल की जानी है। इसके तहत पूरे इलाके में सायरन बजने के बाद अंधेरा छा जाएगा। यह नजारा साल 1971 के बाद एक बार फिर दिखेगा।
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान किशनगंज में सायरन की आवाज लोगों की कान में गूंजती थी। उस समय शहर के मनोरंजन क्लब की छत का सायरन बजता था। किशनगंज मारवाड़ी कॉलेज के हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सजल प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने युद्ध की छाया में ही बचपन गुजारा है।
वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय किशनगंज पाकिस्तानी सेना के निशाने पर था। दरअसल पूर्व दिशा में किशनगंज शहर से महज 30 किमी दूर पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी फौज को यह मालूम हो गया था कि पूर्वी पाकिस्तान के सर्वमान्य नेता शेख मुजीबुर्रहमान की मुक्ति वाहिनी के गुरिल्लाओं को किशनगंज में शरण व आर्थिक मदद मिलती है।
अब 54 साल बाद एक बार फिर से किशनगंज के लोग युद्ध का सायरन और ब्लैक आउट देखेंगे। सरकार युद्ध के पूर्वाभास को लेकर सायरन और ब्लैक आउट का मॉक ड्रिल बुधवार को करने जा रही है। इसी दौरान अति संवेदनशील किशनगंज जिले को भी मॉक ड्रिल के लिए चिह्नित किया गया है।