प्रमोशन और कुलपति की नियुक्ति के नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा की है।
इन नए नियमों के तहत अब एमटेक और एमई वाले अभ्यर्थी बिना नेट के भी असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके साथ ही सब्जेक्ट्स में भी छूट दी गई है।
कुलपति की नियुक्ति के लिए अब दस साल का टीचिंग एक्सपीरियंस अनिवार्य नहीं होगा। इसके साथ ही संबंधित फील्ड के ऐसे एक्सपर्ट, जो सीनियर लेवल पर 10 साल से ज्यादा का कार्यनुभव हो और उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा वे इस पद के लिए योग्य होंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करते हुए हाल ही में सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती और प्रमोशन के लिए नए नियम जारी किए हैं।
इसके तहत 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमई) और मास्टर्स ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) में पीजी डिग्री वाले लोगों को सीधे सहायक प्रोफेसर के पद पर आवेदन करने की अनुमति मिल जाएगी। इसके लिए उन्हें नेट क्वालिफाई होने की जरूरत नहीं है।
इसके अलावा, अभ्यर्थियों को विषयों के संबंध में भी छूट की घोषणा की गई है। इसके अनुसार, अगर अभ्यर्थी ने किसी भी सब्जेक्ट से यूजी या पीजी किया हो लेकिन वे पीएडी या नेट के सब्जेक्ट से इस पद पर भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, पहले सब्जेक्ट को लेकर कैंडिडेट्स को यह छूट नहीं दी गई थी।
कुलपति की नियुक्ति के नए नियमों पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि यूजीसी 2025 विनियम गैर शैक्षणिक लोगों को इस पद पर रहने का मौका देता है। हालांकि, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।