पूर्वी दिल्ली, गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े का पहाड़ खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
सरकार के दावों के विपरीत, चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि निस्तारण की गति बहुत धीमी है। अगर यही गति रही तो कूड़े का पहाड़ खत्म होने में दो दशक से ज्यादा लगेंगे।
गाजीपुर लैंडफिल साइट से रोजाना मात्र एक हजार मीट्रिक टन कूड़ा कम हो रहा है, जबकि इसकी जगह 1700 मीट्रिक टन नया कूड़ा आ रहा है। निगम का वर्तमान रिकॉर्ड देखें तो एक साल में महज 3.65 लाख मीट्रिक टन कूड़ा लैंडफिल साइट पर बने पहाड़ से हटेगा।
निगम अधिकारियों की लापरवाही के चलते कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई नहीं घट रही है। अगर यही गति रही तो कूड़े का पहाड़ खत्म होने में दो दशक से ज्यादा लगेंगे। निगम अधिकारियों को इस मामले में ध्यान देना चाहिए और निस्तारण की गति बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े का पहाड़ लगभग 65 मीटर ऊंचा है, जो कि एक बड़ी समस्या है। इस पहाड़ को खत्म करने के लिए निगम को विशेष प्रयास करने होंगे।
निगम अधिकारियों को निस्तारण की गति बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए। इसके लिए उन्हें विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए और नए तरीकों का उपयोग करना चाहिए।
सरकार की जिम्मेदारी है कि वह कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए निगम की मदद करे। सरकार को निगम को विशेष फंड देना चाहिए ताकि वे निस्तारण की गति बढ़ा सकें।
गाजीपुर लैंडफिल साइट के आसपास रहने वाले लोगों को कूड़े के पहाड़ से कई समस्याएं हो रही हैं। उन्हें प्रदूषण, बदबू और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। निगम अधिकारियों को इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
निगम अधिकारियों ने कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए एक योजना बनाई है। इस योजना के तहत निगम कूड़े को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर निस्तारण करेगा। लेकिन इस योजना को सफल बनाने के लिए निगम को विशेष प्रयास करने होंगे।