कीमतें आसमान छू रही हैं, कृषि मंत्री का इस्तीफा
नई दिल्ली: जापान में चावल की आपूर्ति में कमी के कारण कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे राजनीतिक उथल-पुथल मची है। कृषि मंत्री ताकू एटो को इस्तीफा देना पड़ा है, क्योंकि चावल की कमी ने गंभीर रूप ले लिया है।
चावल जापानी संस्कृति, परंपरा और राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग इस अनाज को अपनी अस्मिता से जोड़ते हैं। जापान में ज्यादातर लोग चावल को अपने दैनिक आहार में इस्तेमाल करते हैं। जापान दुनिया में चावल का नौवां सबसे बड़ा उत्पादक है। चावल जापानी इतिहास, समाज और राजनीतिक अर्थव्यवस्था में एक भावनात्मक स्थान रखता है। देश के ज्यादातर व्यंजन को चावल की मदद से ही बनाया जाता है।
जापान के सुपरमार्केट में चावल गायब हो गया है और कीमतें दोगुनी हो गई हैं। जापान के कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जापान कृषि सहकारी समितियों और अन्य वाणिज्यिक थोक विक्रेताओं के पास चावल का स्टॉक पिछले साल के स्तर से 400,000 टन कम है, जो जून तक रिकॉर्ड निम्नतम 1.53 मिलियन टन पर पहुंच गया है।
जापान में चावल की कीमत पिछले साल से चल रही है, जब भूकंप की आशंका से लोगों ने चावल की खरीददारी की और महीनों का स्टॉक जमा कर लिया। इसके अलावा पिछले साल नूडल्स की कीमत बढ़ने पर भी लोगों ने चावल को खरीददारी बढ़ा दी थी और चावल पर और ज्यादा आश्रित हो गए थे। यूक्रेन-रूस जंग की वजह से गेहूं की कीमतों में उछाल आने पर भी सारा असर चावल पर पड़ा।
जापान के कृषि मंत्री ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उनका एक बयान लोगों का रास नहीं आया। उन्होंने कहा था कि उन्हें कभी चावल खरीदने की दरकार नहीं हुई क्योंकि उनके समर्थक उन्हें गिफ्ट के तौर पर चावल दे देते हैं। इस बयान के बाद जापान में सियासी बवंडर खड़ा हो गया और अब एटो की जगह शिंजरो कोइजुमी ने लिया है।
जापान सरकार के लिए चावल की आपूर्ति को सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। सरकार को चावल की कीमतों को नियंत्रित करने और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि चावल की कमी के कारण लोगों को परेशानी न हो।
चावल की कमी और कीमतों में वृद्धि का जापान की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ेगा। चावल की कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और लोगों की क्रय शक्ति कम हो सकती है। सरकार को अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए कदम उठाने होंगे।