अमेरिका ने दिया समर्थन
ताइवान, जिसे पहले फॉर्मोसा के नाम से जाना जाता था, दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है। इसका इतिहास काफी पुराना है, जिसमें डच, स्पैनिश और जापानी शासन भी शामिल हैं।
वर्तमान में, ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, जबकि चीन इसे अपना हिस्सा बताता है। यह विवाद कैसे शुरू हुआ और अमेरिका का इसमें क्या रोल है, आइए जानते हैं।
ताइवान पर पहले डच और स्पैनिश लोगों का शासन था। बाद में, जापानी शासन के तहत यह द्वीप आया। 1949 में, माओ की कम्युनिस्ट सेना से हारने वाली रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार के नियंत्रण में आया।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। यह विवाद काफी पुराना है और दोनों देशों के बीच तनाव बना रहता है।
अमेरिका ने हाल ही में ताइवान को डिफेंस सपोर्ट पैकेज के तहत 4.85 हजार करोड़ रुपये दिए थे। इससे चीन भड़क गया था और अमेरिका को आग से न खेलने की धमकी दे दी थी।
अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप से मांग की थी कि वह एक चीन नीति को छोड़कर स्वतंत्र ताइवान को मान्यता दें। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका ताइवान के समर्थन में है और चीन के साथ तनाव बढ़ सकता है।
इस बीच, अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ने पिछले हफ्ते अपनी वेबसाइट के ताइवान पेज से उसकी आजादी को सपोर्ट न करने वाले संदर्भ को हटा दिया। इससे चीन और भड़क गया है।