शीर्ष अदालत ने मामले को लेकर हाई कोर्ट जाने को कहा है।
मामले की जानकारी देते हुए बताया गया है कि 19 मार्च रात 9 बजे डीडीए ने नोटिस निपकाया था कि 20 मार्च सुबह 4 बजे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके बाद मंदिर पर एक्शन रोकने के लिए जुटे लोगों ने ध्वस्तीकरण नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से दिल्ली हाई कोर्ट जाने को कहा है। वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि डीडीए के किसी भी अधिकारी या किसी भी धार्मिक समिति द्वारा मंदिरों को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया।
याचिका में यह भी कहा गया है कि मंदिर 35 साल पुराने हैं और डीडीए ने खुद काली बाड़ी समिति मंदिर को मंदिर के सामने की जमीन पर दुर्गा पूजा आयोजित करने की अनुमति दी थी।
डीडीए के अधिकारियों ने बताया है कि मंदिरों को ध्वस्त करने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि ये मंदिर अवैध रूप से बनाए गए हैं। हालांकि, मंदिरों के समर्थकों का कहना है कि ये मंदिर 35 साल पुराने हैं और इन्हें ध्वस्त करना अन्याय होगा।
इस मामले में अब दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी और अदालत का फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा।