एक गंभीर समस्या जिसका समाधान निकालना जरूरी
नई दिल्ली, 18 नवंबर (डिजिटल डेस्क) – दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसका स्तर विश्व के प्रमुख शहरों में सबसे खराब है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में पुरानी सांस की बीमारियों और अस्थमा से मृत्यु दर दुनिया में सबसे अधिक है।
दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारण
दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, उद्योगों से निकलने वाला धुआं, और निर्माण कार्य से निकलने वाला धूल शामिल है। इसके अलावा, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है।
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई प्रयास किए हैं। इनमें ऑड-ईवन नियम लागू करना, वाहनों के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट अनिवार्य करना, और उद्योगों पर सख्त नियम लागू करना शामिल है। इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का फेज 3 लागू किया है, जिसके तहत कई सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं।
ग्रेप-3 के तहत प्रतिबंधित गतिविधियां
निर्माण और विध्वंस गतिविधियां
स्टोन क्रशर ऑपरेशन
खनन और उससे संबंधित गतिविधियां
BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल चार पहिया हल्के मोटर वाहनों का परिचालन
ग्रेप-3 के तहत अनुमति प्राप्त गतिविधियां
रेलवे सेवाएं और स्टेशन
मेट्रो रेल सेवाएं और स्टेशन
हवाई अड्डे और अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल
राष्ट्रीय सुरक्षा/रक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट
अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं
दिल्ली के नागरिकों को भी वायु प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इसके लिए, हमें अपने दैनिक जीवन में कुछ बदलाव करने होंगे, जैसे कि वाहनों का कम उपयोग करना, और ऊर्जा की बचत करना।