अब पश्चिमी आकाश में दिखाई दे रहा है
नैनीताल। धूमकेतु एटलस जी-थ्री सूर्य की लपटों से बच निकला है। छोटी सी पूंछ के साथ पश्चिम के आकाश में सूर्यास्त के बाद धुंधला नजर आने लगा है। इसकी चमक माइनस 2.5 मैग्नीयूट आंकी गई है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि खोज के बाद से ही यह धूमकेतु विज्ञानियों के लिए खास रहा और इसकी निगरानी शुरू की गई। विज्ञानियों ने इसकी चमक शुक्र (वीनस) ग्रह के बराबर होने का अनुमान जताया था।
सूर्य के सर्वाधिक समीप पहुंचने पर लगभग उतनी ही चमक के साथ नासा की अंतरिक्ष दूरबीन सोहो से इसे देखा गया। जिसका वीडियो भी जारी किया गया था। इसके बाद सोमवार की शाम सूर्य के सर्वाधिक नजदीक पहुंचने के साथ ही यह धूमकेतु उसकी रोशनी में अदृश्य हो गया था।
डॉ. पांडेय ने बताया कि धूमकेतु के सूर्य के पास से गुजरने के बाद इसकी पूंछ का आकार बदल गया है। इसकी पूंछ अब छोटी सी दिखाई दे रही है। उन्होंने बताया कि धूमकेतु की चमक अभी भी बनी हुई है और यह पश्चिमी आकाश में सूर्यास्त के बाद दिखाई दे रहा है।
उन्होंने बताया कि धूमकेतु एटलस जी-थ्री की खोज पिछले साल मार्च में हुई थी। इसके बाद से ही विज्ञानियों ने इसकी निगरानी शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि धूमकेतु की चमक और इसकी पूंछ का आकार बदलने के कारण यह विज्ञानियों के लिए खास हो गया है।