नई दिल्ली: पर्सनल लोन अन्य लोन के मुकाबले आसानी से मिल जाता है।
भविष्य में किसी बड़े खर्चे के लिए पर्सनल लोन लिया जा सकता है। लेकिन क्या हो अगर आपको लोन लेने के बाद ज्यादा पैसों की आवश्यकता हो? ऐसी स्थिति में टॉप-अप करना चाहिए या अधिक लोन लेना कितना सही है? आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं।
पर्सनल लोन टॉप-अप एक ऐसी सुविधा है जिसमें आप अपने मौजूदा लोन पर अतिरिक्त राशि प्राप्त कर सकते हैं। इसमें ब्याज दर उतना ही रहता है, लेकिन ईएमआई अमाउंट और अवधि दोनों ही बढ़ जाते हैं।
1. *आसानी से मिल जाता है*: पर्सनल लोन टॉप-अप आसानी से मिल जाता है क्योंकि बैंक के पास पहले से आपकी जानकारी होती है।
2. *कोई डॉक्यूमेंट नहीं*: टॉप-अप करने के लिए आपको कोई अतिरिक्त डॉक्यूमेंट देने की जरूरत नहीं होती।
3. *सेम ब्याज दर*: टॉप-अप अमाउंट पर सेम ब्याज दर लागू होता है।
1. *प्रिंसिपल अमाउंट बढ़ता है*: टॉप-अप करने से आपका प्रिंसिपल अमाउंट बढ़ जाता है, जिससे ईएमआई का अमाउंट भी बढ़ता है।
2. *ईएमआई अवधि बढ़ती है*: टॉप-अप करने से ईएमआई चुकाने की अवधि भी बढ़ जाती है।
टॉप-अप करना सही है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मौजूदा समय में कितना ब्याज मिल रहा है। अगर ब्याज पहले के लिए गए लोन से ज्यादा मिल रहा है, तो दूसरा लोन लेने में नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, आपको यह भी देखना होगा कि ईएमआई का अमाउंट और अवधि कितनी ज्यादा बढ़ रही है और क्या आप बढ़ते ईएमआई अमाउंट का बोझ उठा पा रहे हैं।
पर्सनल लोन टॉप-अप एक अच्छा विकल्प हो सकता है अगर आपको अतिरिक्त राशि की आवश्यकता है और आप बढ़ते ईएमआई अमाउंट का बोझ उठा सकते हैं। लेकिन आपको सावधानी से निर्णय लेना होगा और अपनी वित्तीय स्थिति का ध्यान रखना होगा। लोन उतना ही लें जितना आप चुका सकें और सैलरी का कुछ अमाउंट हमेशा इमरजेंसी फंड के लिए रखें।