पलासी पटेगना पश्चिम ब्राह्मण टोला में झुलन उत्सव का समापन सावन पूर्णिमा के दिन हुआ।
यह आयोजन सावन के एकादशी से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलता है और इसमें भक्त भक्ति में डूब जाते हैं। झुलन उत्सव एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसमें स्थानीय समुदाय की भागीदारी और भक्ति भावना का प्रदर्शन होता है।
भक्ति और उत्साह: झुलन उत्सव के दौरान भक्त भक्ति में डूब जाते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं। इस दौरान भक्त भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति में लीन रहते हैं और उनकी प्रेम कहानी को याद करते हैं।
सांस्कृतिक महत्व: यह उत्सव हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। झुलन उत्सव के दौरान भक्त पारंपरिक वेशभूषा में सजते हैं और पारंपरिक संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं।
स्थानीय भागीदारी: पश्चिम ब्राह्मण टोला जैसे स्थानीय क्षेत्रों में आयोजित होने वाले इस उत्सव में समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है। स्थानीय लोग इस उत्सव के आयोजन में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और इसकी सफलता के लिए काम करते हैं।
भजन संध्या: आज झुलन के अवसर पर एक से बढ़कर एक भजन का प्रस्तुत किया गया, जिसमें मुख्य कलाकार प्रदीप मिश्रा, रूपेश राज उर्फ नटवर जी, अजय झा और स्थानीय लोगों ने भाग लिया। भजन संध्या के दौरान भक्तों ने भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति में लीन होकर भजन गाए।
स्थानीय कलाकार: जगरनाथ मिश्रा, प्रयाग मिश्र, बंधूनाथ मिश्र, संजय मिश्र, शंभू नाथ मिश्र और असोक मिश्र जैसे स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। स्थानीय कलाकारों ने अपनी मधुर आवाज और भावपूर्ण प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसमें आयोजक समिति के श्री चंदन कुमार मिश्रा ने बताया कि यह उत्सव कई वर्षों से आयोजित किया जा रहा है और इसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि झुलन उत्सव के दौरान भक्तों की भावनाओं और उत्साह को बढ़ावा देने के लिए समिति द्वारा विशेष प्रयास किए जाते हैं।
आयोजक समिति ने इस उत्सव के आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की थीं और स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की थी। समिति के सदस्यों ने उत्सव के दौरान व्यवस्था बनाए रखने और भक्तों की सुविधा के लिए काम किया।
पलासी पटेगना पश्चिम ब्राह्मण टोला में झुलन उत्सव का समापन एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इस उत्सव में स्थानीय समुदाय की भागीदारी और भक्ति भावना का प्रदर्शन होता है।
आयोजक समिति और स्थानीय कलाकारों के प्रयासों से यह उत्सव और भी आकर्षक और यादगार बन जाता है। झुलन उत्सव के दौरान भक्तों की भावनाओं और उत्साह को बढ़ावा देने के लिए आयोजक समिति द्वारा विशेष प्रयास किए जाते हैं।