जहां एक निर्दोष व्यक्ति को दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई थी।
लेकिन हाईकोर्ट ने पीड़ित व्यक्ति को दोषमुक्त कर दिया है और अब सरकार उसे मुआवजा देगी।
इस मामले में निर्दोष व्यक्ति को दोषी साबित करने वाले अधिकारियों पर भी एक्शन लिया गया है। सजा दिलाने वाले निलंबित अनुसंधानक और थानेदार पर विभागीय कार्रवाई की तलवार लटक रही है। पुलिस मुख्यालय में इस मामले को लेकर खलबली मची हुई है।
मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है और केस नंबर 18/4/10/2024 दर्ज किया है। इसमें निर्दोष व्यक्ति को सजा दिलाने वाले पुलिस पदाधिकारियों पर कार्रवाई और मुआवजा को लेकर मांग की गई है।
इस मामले में पीड़ित व्यक्ति को उच्च न्यायालय से दोषमुक्त करने और डीजीपी विनय कुमार के निर्देश पर कमजोर वर्ग व अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक के गठित जांच टीम की रिपोर्ट पर दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर की गई कार्रवाई से संबंधित साक्ष्य को संकलन किया गया है। पुलिस मुख्यालय ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि वे इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करेंगे।
इस मामले में एसडीपीओ और थानेदार पर भी कार्रवाई की जा रही है। उन्हें शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में मुआवजे की तैयारी पूरी कर ली है और आयोग के पत्र का इंतजार किया जा रहा है।