2018 बैच के सीनियर दारोगा 2019 बैच के जूनियरों के अधीन काम कर रहे
मुजफ्फरपुर जिले के आठ थानों में एक अजीब स्थिति पैदा हो गई है, जहां 2018 बैच के सीनियर दारोगा 2019 बैच के जूनियर दारोगाओं के अधीन काम कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल सीनियर और जूनियर दोनों के लिए असहज है, बल्कि थानों के कामकाज पर भी इसका असर पड़ रहा है।
बिहार पुलिस ने हाल ही में 2019 बैच के सब-इंस्पेक्टरों को हथौड़ी, औराई, जजुआर, बेनिबाद, पानापुर करियात, जैतपुर, ब्रह्मपुरा और कुढ़नी थानों की कमान सौंपी है। इन थानों में पहले से 2018 बैच के कई सीनियर एसआइ तैनात थे, जो अब जूनियर दारोगाओं के अधीन काम कर रहे हैं।
2018 बैच के रूपक कुमार ने जजुआर थाने में 2019 बैच के रौशन कुमार मिश्रा को ट्रेनिंग दी थी, जो अब औराई थाने के थानाध्यक्ष हैं। रूपक कुमार अब रौशन कुमार मिश्रा के अधीन अपर थानाध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं।
यह स्थिति न केवल सीनियर और जूनियर दोनों के लिए असहज है, बल्कि थानों के कामकाज पर भी इसका असर पड़ रहा है। थानों में कामकाज की गुणवत्ता और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। सीनियर दारोगा के अनुभव और ज्ञान का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे थानों के कामकाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बिहार पुलिस में इस असहज स्थिति को जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत है। प्रशासन को इस मामले में विचार करना चाहिए और एक उचित समाधान निकालना चाहिए, जिससे थानों के कामकाज पर इसका प्रभाव न पड़े। सीनियर दारोगा के अनुभव और ज्ञान का लाभ लेने के लिए उन्हें महत्वपूर्ण भूमिकाओं में रखा जा सकता है, जिससे थानों के कामकाज में सुधार हो सके।
आगे की कार्रवाई के लिए प्रशासन को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
1. सीनियर दारोगा के अनुभव और ज्ञान का लाभ लेने के लिए उन्हें महत्वपूर्ण भूमिकाओं में रखा जा सकता है।
2. जूनियर दारोगाओं को प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान किया जा सकता है, जिससे वे अपनी नई भूमिकाओं में सफल हो सकें।
3. थानों के कामकाज की निगरानी और मूल्यांकन किया जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कामकाज की गुणवत्ता और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर इसका प्रभाव न पड़े।