लंदन: किंग्स कालेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंध के वरिष्ठ व्याख्याता और सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. वाल्टर लैडविग ने कहा कि भारतीय वायु सेना की कमोबेश सटीकता से विभिन्न लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता का प्रमाण काफी प्रभावशाली है।
उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमलों को लेकर भारत सरकार की नीति में बदलाव आया है और अब नीतिगत रुख यह है कि अपने क्षेत्र में आतंकी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह बनाने से रोकने में विफलता ही सैन्य कार्रवाई के लिए पर्याप्त है।
आतंकवादी हमलों को लेकर भारत सरकार की नीति में बदलाव
डॉ. लैडविग ने कहा कि अतीत में हमने देखा कि सरकारों को डोजियर तैयार करने या आतंकियों से संबंधों के साक्ष्य देने की आवश्यकता महसूस हुई। अब यह नीतिगत रुख अपनाया जा रहा है कि आतंकी संगठनों को आपके क्षेत्र में सुरक्षित पनाहगाह बनाने से रोकने में विफलता सैन्य कार्रवाई के लिए पर्याप्त है।
डॉ. लैडविग ने कहा कि इस्लामाबाद द्वारा दिखाई गई आक्रामकता के बाद भारत पाकिस्तान की तुलना में अधिक व्यापक लक्ष्यों पर हमला करने और मिशनों को अंजाम देने में सफल रहा। भारतीय वायु सेना ने मानक सैन्य प्रक्रियाओं के अनुसार काम किया और कमोबेश सटीक रूप से कई लक्ष्यों पर हमला करने की उसकी क्षमता काफी प्रभावशाली थी।
डॉ. लैडविग ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों के विपरीत भारत-पाकिस्तान विवाद को सुलझाने में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफ कर दिया है कि कोई मध्यस्थता नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका समेत अन्य देश दोनों पक्षों से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन इस क्षेत्र में संघर्ष अमेरिकी हित में नहीं है।
डॉ. लैडविग ने कहा कि पहलगाम हमले के मद्देनजर पश्चिमी सरकारों और रूस सहित कई देशों ने आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर बात की और भारत के प्रति उनकी सहानुभूति वास्तविक थी। अमेरिका की सरकारें भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रही हैं, ताकि चीन का प्रतिकार किया जा सके।