गौतम अदाणी ने कहा- सेवा करने वाला नहीं, सेवा ग्रहण करने वाला ही हमें परमात्मा तक पहुंचने का अवसर देता है
महाकुंभ के पावन अवसर पर अदाणी समूह ने इस्कॉन (ISKCON) के सहयोग से देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद सेवा का संकल्प लिया। प्रतिदिन 1 लाख श्रद्धालुओं को भोजन प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया लेकिन सेवा की यह लहर इससे कहीं आगे बढ़ी। इस्कॉन ने कुछ ही दिनों में विश्वस्तरीय रसोई और वितरण प्रणाली स्थापित कर दी जिसका हिस्सा बनना एक दिव्य अनुभव था।
गौतम अदाणी ने कहा, “आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। सभी को इस शुभ अवसर की हार्दिक मंगलकामनाएं। यह पावन अवसर 45 दिनों तक चलने वाले सेवा के महायज्ञ महाकुंभ की पूर्णाहुति का दिन भी है। महाशिवरात्रि न केवल शिव और शक्ति के दिव्य मिलन का पर्व है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, भक्ति और लोककल्याण के आदर्शों को जीवन में आत्मसात करने का शुभ अवसर भी है।”
गौतम अदाणी ने कहा, “शिव की आराधना हमें सिखाती है कि सच्ची सेवा वही है, जो निःस्वार्थ भाव से की जाए और जिसमें समस्त मानवता का हित निहित हो। जो कालकूट विष को अपने कंठ में धारण कर समस्त सृष्टि की रक्षा के लिए नीलकंठ बन गए, वही शिव निःस्वार्थ सेवा के परम प्रतीक हैं।
यह महाकुंभ मेरे लिए अनंत आध्यात्मिक अनुभवों से परिपूर्ण रहा, जिसमें सेवा का अनुभव सबसे मूल्यवान है।”
गौतम अदाणी ने कहा, “मेरा मानना है कि जीव मात्र की सेवा ही ईश्वर के साक्षात्कार का श्रेष्ठ मार्ग है। महाकुंभ ‘तेरा तुझको अर्पण’ की भावना को साकार करने का अवसर देता है, जहां हम जननी जन्मभूमि से प्राप्त सब कुछ उसे समर्पित कर सकते हैं।
लाखों श्रद्धालुओं की सेवा करके हम स्वयं को धन्य मानते हैं। वास्तव में, सेवा करने वाला नहीं, बल्कि सेवा ग्रहण करने वाला ही हमें परमात्मा तक पहुंचने का अवसर देता है।”
गौतम अदाणी ने कहा, “ऐसे हमें जिन भाई-बहनों और संतजनों की सेवा करने का पुण्य प्राप्त हुआ उन्हें करबद्ध नमन। इस वर्ष करोड़ों श्रद्धालुओं के साथ साथ मुझे भी परिवार समेत प्रयागराज जाकर मां गंगा के दर्शन पाने और अद्भुत एवं अद्वितीय महाकुंभ का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
प्रयागराज जाकर ऐसा लगा मानो पूरी दुनिया की आस्था, सेवाभाव और संस्कृतियां यहीं मां गंगा की गोद में समाहित हो गई हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक आय