राणा के प्रत्यर्पण पर अमेरिकी अदालत ने मुहर लगाई।
वॉशिंगटन। 26/11 मुंबई आतंकी हमले का दोषी तहव्वुर राणा ने खुद को बचाने के लिए अमेरिकी अदालत में आखिर बार गुहार लगाई है। राणा के वकील ने निचली अदालत के फैसले की समीक्षा करने की अपील की है।
राणा ने तर्क दिया कि उसे इलिनोइस (शिकागो) की संघीय अदालत में 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले से संबंधित आरोपों पर मुकदमा चलाया गया और बरी कर दिया गया था। अब भारत भी उन्हें आरोपों के आधार पर प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है।
राणा के वकील ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत के फैसले की समीक्षा करने की अपील की है। याचिका में राणा के वकील ने दोहरे खतरे के सिद्धांत (principle of double jeopardy) का हवाला दिया है।
इस बीच, अमेरिकी अदालत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर मुहर लगा दी है। राणा को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड कोलमन हेडली को मदद पहुंचाने का दोषी ठहराया गया है। वह फिलहाल लॉस एंजेलिस की जेल में बंद है।
राणा के वकील ने कहा कि वह अपने मुवक्किल के प्रत्यर्पण के खिलाफ हर संभव कानूनी विकल्प का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा कि राणा को भारत में प्रत्यर्पित करने से पहले अमेरिकी अदालत को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत में उनके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाएगा।
इस मामले में भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि वे राणा के प्रत्यर्पण के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि राणा को भारत में प्रत्यर्पित करने से पहले अमेरिकी अदालत को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत में उनके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाएगा।
इस बीच, मुंबई हमले के पीड़ितों के परिवारों ने राणा के प्रत्यर्पण की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राणा को भारत में प्रत्यर्पित करने से न्याय होगा।