कोर्ट ने कहा- मुफ्त राशन और पैसा देने की जगह लोगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त के वादे करने पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि इससे लोगों की काम करने की इच्छा नहीं होगी क्योंकि उन्हें राशन और पैसे मुफ्त मिलते रहेंगे।
कोर्ट ने कहा कि मुफ्त राशन और पैसा देने की जगह क्या ये अच्छा नहीं होगा कि इन लोगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जाए और देश के विकास में इन्हें भी योगदान देने का मौका मिले।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि केंद्र शहरी गरीबी मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जो शहरी बेघरों के लिए आश्रय के प्रावधान सहित विभिन्न मुद्दों का समाधान करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से केंद्र से यह साफ करने को कहा कि शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन कितने समय के अंदर लागू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह चुनाव के समय में आई है। चुनाव के समय में राजनीतिक पार्टियां अक्सर मुफ्त के वादे करती हैं जो मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। लेकिन कोर्ट की टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि ऐसे वादे करना सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का प्रभाव राजनीतिक पार्टियों पर पड़ सकता है। राजनीतिक पार्टियां अब मुफ्त के वादे करने से पहले सोचेंगी। इसके अलावा, यह टिप्पणी मतदाताओं को भी जागरूक कर सकती है कि मुफ्त के वादे करना सही नहीं है।