सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज प्रशांत कुमार पर की गई अपनी टिप्पणी को हटा लिया है,
जिसमें एक सिविल विवाद मामले में आपराधिक कार्यवाही की अनुमति देने की आलोचना थी। कोर्ट ने कहा कि उसका इरादा उन्हें शर्मिंदा करना नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने जज प्रशांत कुमार पर की गई टिप्पणी को हटा लिया है
कोर्ट ने कहा कि उसका इरादा जज को शर्मिंदा करना या उन पर आरोप लगाना नहीं था
जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने यह फैसला लिया है
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों के एक ग्रुप ने मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली को पत्र लिखकर उनसे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार को आपराधिक रोस्टर से हटाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के जवाब में एक कोर्ट मीटिंग बुलाने का अनुरोध किया था
न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा ने पत्र लिखकर 4 अगस्त को पारित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अपनी पीड़ा व्यक्त की और इस पत्र पर 7 न्यायाधीशों ने हस्ताक्षर किए हैं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के न्यायिक तर्कों पर कड़ी टिप्पणियां कीं और हाईकोर्ट प्रशासन को उन्हें आपराधिक मामलों की सूची से हटाने का निर्देश दिया
साथ ही, उन्हें सेवानिवृत्ति तक किसी वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ एक खंडपीठ में नियुक्त करने का भी निर्देश दिया था
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका इरादा जज प्रशांत कुमार को शर्मिंदा करना नहीं था
कोर्ट ने कहा कि उसकी मंशा न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने की थी
सुप्रीम कोर्ट ने जज प्रशांत कुमार पर की गई टिप्पणी को हटा लिया है और कहा है कि उसका इरादा उन्हें शर्मिंदा करना नहीं था। यह फैसला चीफ जस्टिस बी आर गवई के अनुरोध के बाद लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण है।