नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन भक्तों के लिए मां की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है।
दुर्गा शप्तश्लोकी के अनुसार माँ ब्रह्मचारिणी की कथा इस प्रकार है:
ॐ श्री दुर्गायै नमः
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। उनकी इस तपस्या के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी और तपस्चारिणी कहा गया।वह हिमालय के घर में जन्मी और अपने पिता के घर में रहकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की। उन्होंने एक हजार वर्ष तक केवल फल और पत्तियों का आहार लेकर तप किया। इसके बाद उन्होंने एक हजार वर्ष तक केवल जल पीकर तप किया। इसके बाद उन्होंने एक हजार वर्ष तक केवल हवा पीकर तप किया। इस प्रकार उन्होंने तीन हजार वर्ष तक तप किया। इस तपस्या के कारण उनका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया। तब भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया और उन्हें वरदान दिया कि वे उनकी पत्नी बनेंगी। इस प्रकार माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। ॐ श्री दुर्गायै नमः
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं। एकाग्रता एवं स्थिरता आती है। बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है।
पूजा-विधि : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए भक्तों को निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए:
1. सुबह जल्दी स्नान कर लें।
2. पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
3. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
4. मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
5. मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें।
6. प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
7. धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
8. मां की आरती करें।
9. मां को भोग भी लगाएं।
मां ब्रह्मचारिणी के लाभ : माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना से भक्तों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:
1. आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं।
2. एकाग्रता एवं स्थिरता आती है।
3. बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है।
4. माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। मां की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों को इस दिन का विशेष महत्व देना चाहिए।