आईसीएमआर ने एसएसआई को रोकने के लिए कुछ सिफारिशें जारी की हैं।
भारत में सर्जरी के बाद हर साल औसतन लगभग 15 लाख मरीज संक्रमण की चपेट में आते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक हालिया रिपोर्ट में सर्जरी के बाद होने वाले संक्रमण यानी सर्जिकल साइट इंफेक्शन (एसएसआई) को लेकर यह चिंताजनक स्थिति सामने आई है।
दरअसल, एसएसआई तब होता है जब सर्जरी के दौरान लगाए गए चीरे में घुस कर बैक्टीरिया उसे संक्रमण कर देते हैं। आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सर्जरी के बाद मरीजों के एसएसआई से संक्रमित होने की दर 5.2 प्रतिशत है जो कई विकसित देशों से अधिक है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हड्डियों, मांसपेशियों से संबंधित सर्जरी या आर्थोपेडिक सर्जरी के मामलों में एसएसआई की दर 54.2 प्रतिशत है, जो बेहद चिंता की बात है। इस समस्या से निपटने के लिए आईसीएमआर ने एसएसआई निगरानी नेटवर्क लॉन्च किया है।
इस नेटवर्क के माध्यम से देश के विभिन्न अस्पतालों में एसएसआई के मामलों की निगरानी की जाएगी और इस समस्या से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा, आईसीएमआर ने एसएसआई को रोकने के लिए कुछ सिफारिशें भी जारी की हैं।
सर्जरी से पहले मरीजों को एंटीबायोटिक्स देना
सर्जरी के दौरान स्टेराइल तकनीक का उपयोग करना
सर्जरी के बाद मरीजों की नियमित जांच करना
एसएसआई के लक्षणों को पहचानने और समय पर उपचार करना
आईसीएमआर की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि एसएसआई एक गंभीर समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे ताकि मरीजों की सेहत की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।