पाकिस्तान के सिंधु डेल्टा में खारे पानी के प्रवेश से किसान और मछुआरे बुरी तरह प्रभावित हैं।
पानी की लवणता बढ़ने से कृषि मुश्किल हो गई है और झींगा-केकड़े की आबादी घट गई है। लोग पलायन करने को मजबूर हैं जिससे गांव खाली हो रहे हैं।
स्थानीय निवासी हबीबुल्लाह खट्टी ने बताया कि उनके गांव में खारे पानी ने घेर लिया है और मछली पकड़ने का काम मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि अब लोग पलायन करने को मजबूर हैं और गांव खाली हो रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, शहर की आबादी 1981 में 26,000 से घटकर 2023 में 11,000 रह गई है। खारो चान कस्बे से खट्टी अब अपने परिवार को कराची ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।
पाकिस्तान फिशरफोक फोरम का अनुमान है कि डेल्टा के तटीय जिलों से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। पूर्व जलवायु परिवर्तन मंत्री के नेतृत्व वाले थिंक टैंक की स्टडी के मुताबिक, पिछले दो दशकों में पूरे सिंधु डेल्टा क्षेत्र से 12 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।
सिंधु नदी तिब्बत से शुरू होकर कश्मीर होते हुए पाकिस्तान में बहती है। सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियां पाकिस्तान के लगभग 80% कृषि भूमि की सिंचाई करती हैं और लाखों लोगों की आजीविका का साधन हैं।
सिंधु नदी बेसिन के क्षरण को रोकने के लिए, सरकार और संयुक्त राष्ट्र ने 2021 में ‘लिविंग इंडस इनिशिएटिव’ शुरू किया। सिंध सरकार मैंग्रोव पुनर्स्थापना परियोजना चला रही है, जिसका उद्देश्य खारे पानी की एंट्री को रोकने के लिए प्राकृतिक अवरोध के रूप में काम करने वाले जंगलों को पुनर्जीवित करना है।
भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को रद कर दिया है। भारत ने संधि को कभी भी बहाल न करने और नदी के ऊपर बांध बनाने की बात कही है, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी का प्रवाह कम हो जाएगा।
सिंधु डेल्टा में संकट की स्थिति गंभीर है। लोगों को पलायन करने को मजबूर होना पड़ रहा है और उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है। सरकार और संयुक्त राष्ट्र की कोशिशों से डेल्टा को पुनर्स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।